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(सूक्ष्म-वित्त) माइक्रोफाइनेंस

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(सूक्ष्म-वित्त) माइक्रोफाइनेंस की सुविधा अकसर उन्हीं लोगों को दी जाती है जोकि एक तरफ कम आय वर्ग वाले होते हैं और उनके इलाके में बैंक की किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं होती है. साथ ही स्व-रोजगार हेतु ऋण के पारंपरिक स्रोतों पर निर्भर होते हैं.
माइक्रोफाइनेंस की सुविधा विगत कुछ दशकों पूर्व ही शुरू की गयी थी. ये सेक्टर गैर सरकारी संगठन(सहकारी या ट्रस्ट) के तौर पर पंजीकृत होते हैं. इनका पंजीकरण कंपनी अधिनियम के सेक्सन 25 के अधीन किया जाता है. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक, वाणिज्यिक बैंक और अन्य आर्थिक संस्थाएं इन(सूक्ष्मवित्त)माइक्रोफाइनेंस Image result for micro financeसंस्थाओं को ऋण सुविधा प्रदान करते हैं. इसके अलावा अन्य बड़े उधारदाताओं नें भी माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं को पुनर्वित्त सुविधा प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. साथ ही बैंकों भी  स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ऋण लेने वालों को सीधे क्रेडिट(उधार) की सुविधा प्रदान करते हैं.
भारत में वित्तीय समावेशन के साथ भारत का प्रमुख नीतिगत उद्देश्य विकासपरक  कार्यों के रूप में निर्धारित हुआ है.  माइक्रोफाइनेंस की सुविधा वर्तमान में बैंक-रहित क्षेत्रों में प्रमुख वर्गों के लिए वित्तीय सेवाओं के विस्तार के रूप में एक बेहतर विकल्प साबित हुआ है. साथ ही विभिन्न उधारदाताओं द्वारा जोकि ऋण देने में अपनी मनमानी करते थे, अब समाज के विविध वर्गों को सुविधाएं देने में रूचि रखने लगे हैं. साथ ही क़ानून के प्रावधानों के अधीन भी हो गए हैं.
(सूक्ष्म-वित्त)माइक्रोफाइनेंस की मुख्य विशेषताएं हैं:
• इसके अन्दर दिए जाने वाले ऋण छोटी राशि के होते हैं, जैसे-सूक्ष्म ऋण
• ऋण देने का मूल उद्देश्य आम तौर पर आय सृजन से जुड़ा होता है.
• कम आय-वर्ग के लोगो को इस तरह का ऋण प्रदान किया जाता है.
• लघु अवधि के ऋण होते हैं
• उच्च स्तर पर इनकी पुनः चुकौती होती है
• बिना किसी सामानांतर व्यवस्था के इसमें ऋण प्रदान किया जाता है.

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