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![]() | 1960 दशक की शुरूआत में, तिरुवनंतपुरम के निकट थुंबा पर से गुज़रने वाली चुंबकीय भूमध्यरेखा के ऊपर, वायुमंडल और आयनमंडल के वैज्ञानिक अन्वेषण के साथ, छोटे परिज्ञापी रॉकेटों के उपयोग द्वारा देश में अंतरिक्ष गतिविधियाँ प्रारंभ हुईं। राष्ट्रीय विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की असीम संभावनाओं को महसूस करते हुए, स्वप्नदर्शी नायक डॉ. विक्रम साराभाई ने सपने संजोए कि यह शक्तिशाली प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय विकास और आम आदमी की समस्याओं को सुलझाने में अर्थपूर्ण भूमिका निभाएगी। |
थुंबा भूमध्यरेखीय रॉकेट प्रमोचन केंद्र (टर्ल्स), तटीय रेखा, सेंट मेरी मैग्डलीन चर्च से कुछ मीटर दूर | |
इस प्रकार, चर्च में जन्मे, देश में अंतरिक्ष कार्यकलापों की शुरूआत करने वाले भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने, दूरदर्शन प्रसारण, दूरसंचार और मौसम विज्ञानीय उपयोगों के लिए संचार उपग्रह; प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए सुदूर संवेदन उपग्रहों के निर्माण और प्रमोचन के लिए स्वावलंबी बनने और विकास क्षमता हासिल करने पर ध्यान केंद्रित किया। | |
इसरो का उद्देश्य है, विभिन्न राष्ट्रीय कार्यों के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उसके उपयोगों का विकास। इसरो ने दो प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियाँ स्थापित की हैं, संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम विज्ञानीय सेवाओं के लिए इन्सैट, और संसाधन मॉनीटरन तथा प्रबंधन के लिए भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह (आईआरएस)। इसरो ने इन्सैट और आईआरएस उपग्रहों को अपेक्षित कक्षा में स्थापित करने के लिए पीएसएलवी और जीएसएलवी, दो उपग्रह प्रमोचन यान विकसित किए हैं। | |
तदनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दो प्रमुख उपग्रह प्रणालियाँ, यथा संचार सेवाओं के लिए भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) और प्राकृतिक संपदा प्रबंधन के लिए भारतीय सुदूर संवेदन (आईआरएस) का, साथ ही, आईआरएस प्रकार के उपग्रहों के प्रमोचन के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पीएसएलवी) और इन्सैट प्रकार के उपग्रहों के प्रमोचन के लिए भूस्थिर उपग्रह प्रमोचन यान (जीएसएलवी) का सफलतापूर्वक प्रचालनीकरण किया है। | |
अंतरिक्ष आयोग नीतियों को सूत्रबद्ध करता है और देश के सामाजिक-आर्थिक लाभार्थ अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास और अनुप्रयोग को बढ़ावा देने के लिए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के कार्यान्वयन का निरीक्षण करता है। अंतरिक्ष विभाग इन कार्यक्रमों को, मुख्य रूप से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (एनएआरएल), उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनई-सैक) और सेमी कंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल) के माध्यम से कार्यान्वित करता है। 1992 में सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में स्थापित एन्ट्रिक्स कार्पोरेशन, अंतरिक्ष उत्पाद और सेवाओं का विपणन करती है। संगठनात्मक चार्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।
शुरू से, देश में अन्तरिक्ष क्रियाकलाप, टेलीविजन प्रसारण, दूरसंचार और मौसम विज्ञानीय उपयोग के लिए संचार उपग्रह और प्राकृतिक संसाधन के प्रबन्धन के लिए सुदूर संवेदन उपग्रहों के निर्माण और प्रमोचन के लिए क्षमता का विकास और आत्म निर्भरता पर ध्यान केन्द्रित किया है। तदनुसार, भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने संचार सेवाओं के लिए भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबन्धन के लिए भारतीय सुदूर संवेदन (आई आर एस) उपग्रह नामक दो प्रमुख उपग्रह प्रणालियों, साथ ही, आई आर एस प्रकार के उपग्रहों के प्रमोचन के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक राकेट (पीएसएलवी) और इन्सैट प्रकार के उपग्रहों के प्रमोचन के लिए भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रमोचक राकेट (जीएसएलवी) को सफलतापूर्वक प्रमोचन किया है।
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भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी, ग्रहीय और भू-विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान और सैद्धांतिक भौतिकी जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान शामिल है। बैलून, परिज्ञापीरॉकेट, अंतरिक्ष मंच और भू-आधारित सुविधाएँ इन अनुसंधानात्मक प्रयासों को सहायता प्रदान करते हैं। वायुमंडलीय प्रयोगों के लिए परिज्ञापीरॉकेटों की श्रृंखला उपलब्ध है। विशेषकर खगोलीय एक्स-किरण और गामा-किरण प्रस्फोटों को निर्देशित करने के लिए कई वैज्ञानिक यंत्र उपग्रहों पर उड़ाए गए हैं। प्रमुख अंतरिक्ष मिशन हैं चंद्रयान-1 और आगामी मेघा-ट्रॉपिक्स। | ||||||||
| प्रमोचन दिनांक | 22.10.2008 | |||||||
चंद्रयान-1, भारत का पहलाचंद्र मिशन एसडीएससी शार, श्रीहरिकोटा से 22 अक्तूबर, 2008 को सफलतापूर्वक प्रमोचित किया गया। अधिक जानकारी के लिए... | ||||||||
| प्रमोचन दिनांक | 04.05.1994 | |||||||
| एएसएलवी द्वारा सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित दूसरा उपग्रह। प्रमोचन के बाद चार वर्ष के लिए उपयोग किया गया। अधिक जानकारी के लिए... | ||||||||
| प्रमोचन दिनांक | 20.05.1992 | |||||||
पहले भारतीय उपग्रह, पूर्व रूस के एक इंटरकोसमोस राकेट द्वारा 19 अप्रैल, 1975 को पृथ्वी की कक्षा में प्रमोचन किया। अधिक जानकारी के लिए... | ||||||||
| प्रमोचन दिनांक | 24.03.1987 | |||||||
| एएसएलवी की प्रथम विकासात्मक उड़ान द्वारा इस उपग्रह का प्रमोचन किया गया। यह कक्षा में नहीं पहुँच सका। अधिक जानकारी के लिए... | ||||||||





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